इस परिसर को भगवान महावीर को दिनांक 19 जुलाई, 2019 को अर्पित किया गया और तभी से इस सम्पूर्ण परिसर का प्रबन्ध दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा किया जा रहा है । विमल स्थली परिसर श्री महावीरजी में गम्भीर नदी के पूर्वी ओर उत्तर देखता एक विशाल परिसर है, जिसमें 1008 चन्द्रप्रभ भगवान का पूर्व देखता हुआ मंदिर स्थित है तथा उक्त परिसर में रथ के आकार का नवग्रह मंदिर स्थापित है ।
मंदिर परिसर मुख्य सड़क से करीब 12 फीट ऊंचाई पर 20 सीढ़ियां चढ़कर स्थित है। परिसर का मुख्य द्वार बेहद आकर्षक तथा सफेद मार्बल से निर्मित है । मुख्य द्वार पर एक विशाल एवं भव्य दरवाजा एवं दो छोटे दरवाजे स्टील के बने हैं। मुख्य द्वार के दोनों तरफ बाहर सड़क की तरफ देखती हुई 14 दुकानें स्थित हैं तथा सड़क की ओर पानी की प्याऊ बनी हुई है । मुख्य द्वार पर अन्दर आने के पश्चात् पश्चिमी ओर कैन्टीन एवं 04 दुकानें स्थित हैं । उक्त परिसर में बने हुए मंदिर के आगे मैनेजर कक्ष, प्रभारी कक्ष, पूजागृह एवं कैश काउंटर बने हुए हैं । उक्त परिसर में दो मंजिला भवन संत निवास के नाम से निर्मित है, जिसके दोनों मंजिलों में 15 कमरे निर्मित हैं । उक्त कमरों के पूर्वी ओर आहारगृह स्थित है, जिसमें साधु-सन्तों का चौका लगता है । इसके अतिरिक्त संत निवास के दक्षिणी ओर वृद्धजनों के लिए 16 कमरे निर्मित हैं ।
उक्त परिसर में दो मंजिला भवन संत निवास के नाम से निर्मित है, जिसके दोनों मंजिलों में 15 कमरे निर्मित हैं । उक्त कमरों के पूर्वी ओर आहारगृह स्थित है, जिसमें साधु-सन्तों का चोका लगता है । इसके अतिरिक्त संत निवास के दक्षिणी ओर वृद्धजनों के लिए 16 कमरे निर्मित हैं ।
भगवान महावीर आयुष्मान केन्द्र की स्थापना का उद्देश्य पिछले कुछ वर्षो में सामाजिक व्यवस्थाओं में तेजी से हुए परिवर्तनों के कारण घर के वरिष्ठ/बुजुर्ग लोगों को परिवार के लोगों के साथ रहने में अनेक कठिनाई होने, जीवन में एकाकीपन महसूस होने आदि समस्याओं को इस केन्द्र के द्वारा दूर करने का प्रयास है ।
पिछले कुछ दशकों में औसत आयु में काफी वृद्धि हुई है, जहॉ पहले 60 वर्ष की आयु का व्यक्ति किसी भी कार्य के लिए सक्षम नहीं माना जाता था आज वह 75 वर्ष तक आमतौर पर मानसिक व शारिरिक रूप से स्वस्थ रहता है और उनकी कार्यक्षमता अच्छी रहती है । वरिष्ठ पदों पर कार्य करने का अनुभव होने या अच्छा व्यापारी होने के बावजूद सक्रिय भूमिका समाप्त होने से उनका समय व्यर्थ ही जाता है । वरिष्ठ लोग अपनी हमउम्र के लोगों के साथ रहकर आमोद-प्रमोद कर सकें, इसके लिए श्री महावीरजी सबसे उपयुक्त स्थान है, जहॉ धार्मिक वातावरण में भगवान महावीर के चरणों में सानन्द अपना जीवन बिताया जा सके ।
भगवान महावीर आयुष्मान केन्द्र की स्थापना ऐसे 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को स्थाई/अस्थाई रूप से आनन्द पूर्वक रहने के लिए की गई है । इस केन्द्र की स्थापना का उद्देश्य निःशक्त, असहाय, बीमार लोगों के लिए नहीं है, अपितु यह स्थान शारिरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से सक्षम लोगों के लिए ही है । केन्द्र की स्थापना हेतु प्रबन्धकारिणी कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री नरेन्द्रकुमार जी पाटनी द्वारा 25 लाख रूपये की राशि का योगदान दिया गया था ।
सामान्यतया दिनचर्या का प्रारम्भ प्रार्थना, प्रक्षालन, पूजा, योग, व्यायाम इत्यादि से होगा । आयुष्मान केन्द्र में पूर्वी ओर के हाल में दक्षिणी ओर के भोजन कक्ष में सामूहिक भोजन की व्यवस्था रहेगी तथा इस हाल के उत्तरी ओर के हिस्से में बैठने के सोफे आदि की सुविधा प्रदान की गई है तथा पढ़ने के लिए अखबार, विभिन्न विषयों की पुस्तकों का बन्दोबस्त किया जा रहा है । मनोरंजन के लिए इन्डोर गेम्स एवं टीवी आदि की सुविधा प्रदान की जा रही है । इच्छुक लाभार्थी अपनी विशेषज्ञता / रूचि के आधार पर अपनी सेवायें क्षेत्र को स्वेच्छा से दे सकेंगे । उनके द्वारा दी गई सेवायें कार सेवक के रूप में रहेगी । आवासियों को उनकी योग्यता एवं अनुभव के आधार पर उनके चाहने पर कार्य आवंटन क्षेत्र के मंत्री एवं संयोजक द्वारा किया जावेगा ।
सभी रहवासियों की देखरेख के लिये केयर टेकर्स व अन्य आवश्यक स्टॉफ की नियुक्ति की जायेगी जो बारी बारी से अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन करेंगे । सामान्यतया सेवा भावी स्त्री / पुरूषों को केयर टेकर के रूप में नियुक्त किया जा सकेगा ।
केन्द्र का संचालन सेवा भावना से किया जावेगा । जहॉ रहकर वृद्धजन सामूहिक आधार पर समय व्यतीत कर सकेंगे तथा जीवन के संध्याकाल में अपने अकेलेपन तथा असुरक्षा की भावना से निजात पा सकेंगे । किन्तु गम्भीर रूप में बीमार होने की स्थिति में अथवा अपनी दैनिक चर्या पूर्ण नहीं कर पाने की स्थिति में वृद्धजनों को संस्थान में नहीं रखा जा सकेगा । किसी भी स्थिति में आकस्मिक रूप में बीमार होने अथवा किसी भी प्रकार की दुर्घटना आदि की जिम्मेदारी केन्द्र की नहीं होगी ।
परिवार के दायित्व के निर्वहन के बाद वरिष्ठजन का जीवन एक ऐसा एकांत तलाशता है, जिसमें सच्चे और अच्छे विचारों का संग्रह हो । जहॉ एक ऐसा समूह हो जिसमें विरोधाभास न हो । जहॉ राजमर्रा की जिम्मेदारियों से थोड़ी मुक्ति हो । प्रभु की अनुपम भक्ति हो । कुछ कार्य भी हो किन्तु कम शब्दों में समझे तो एक ऐसा माहौल जहॉ तनाव नहीं हो बस शांति हो, धर्म हो, ध्यान हो । इस मौलिक विचान ने भगवान महावीर आयुष्मान योजना का सूत्रपात किया। योजना के तहत वे सभी वरिष्ठजन जो कि स्वेच्छा से प्रतिदिन 2 घण्टे तक सेवा देने में सक्षम हैं, शामिल हो सकते हैं ।
रायः यह पाया गया है कि रिटायरमेंट के बाद समाज के अनुभवी जन समर्थ और सक्षम होते हुए भी एकांकी जीवन जीते हें। लघु परिवार होने के कारण वरिष्ठजनों को एक सही माहौल ही नहीं मिल पाता। जिससे कुशल व्यक्ति भी तनावग्रस्त हो जाता है । हमारे बुजुर्ग हमारे मार्गदर्शक हैं, वे सामाजिक अनुभव की पूंजी हैं। उनके लिए आदर भाव के साथ श्री महावीरजी में अत्यन्त साधारण मासिक शुल्क के साथ समय यापन का केन्द्र इस योजना के तहत बनाया जायेगा ।
योजना : भगवान महावीर आयुष्मान केन्द्र
स्थान : कमल मंदिर परिसर, श्री महावीरजी (जिला करौली)
पात्रता : 58 वर्ष से अधिक जैन परिवार के वरिष्ठजन, जो कि चलने फिरने में समर्थ हैं तथा धार्मिक माहौल का आनन्द लेना चाहते हैं। जो प्रवास के दौरान स्वेच्छा से मंदिरजी में कार सेवा भी देने में समर्थ हों।
उद्देश्य : दिगम्बर जैन समाज के वरिष्ठजनों को घर से बाहर, महावीर प्रभु के चरणों में सुविधाओं एवं सुनियोजित दिनचर्या के साथ रहने का अवसर प्रदान करना । जिससे वो धार्मिक माहौल में आत्मिक शांति का अनुभव कर सकें ।
सहयोग राशि : एक व्यक्ति एक कक्ष में 12,000/-रू. प्रतिमाह
दो व्यक्ति एक कक्ष में 18,000/-रू. प्रतिमाह
पार्किंग एवं विद्युत चार्जेज अलग से 500/- व 1000/-रू. प्रतिमाह देय होगा
1. एक साथ हम उम्र समाज जन के साथ आनन्द के साथ रहने का अनमोल अवसर ।
2. प्रभु भक्ति के लिए उपर्युक्त स्थान
3. परिसर में प्रतिदिन योग एवं ध्यान
4. सप्ताह में एक बार निःशुल्क मेडिकल चेकअप
5. परिसर में शांति शाला के अन्तर्गत स्वाध्याय और पठन-पाठन की उपर्युक्त निःशुल्क व्यवस्था
6. सभी कक्ष वातानुकूलित होंगे, जिनमें अन्य आवश्यक सामग्री से सुसज्जित होंगे ।
7. पूजा पाठ की व्यवस्था
8. स्वादिष्ट अल्पाहार, लंच, चाय और सायंकालीन भोजन की व्यवस्था परिसर के भोजन कक्ष में सामूहिक रूप से प्रदान किये जायेंगे ।
9. समय-समय पर लघु कार्यक्रमों का आयोजन
10.पात्र व्यक्ति को मंदिर परिसर में प्रतिदिन न्यूनतम 2 घन्टे कारसेवा करने का अदभुत सौभाग्य मिलेगा।
1. केन्द्र पर उपस्थित प्रपत्र भरकर और आवश्यक पहचान पत्र दिखा कर ही एंट्री सम्भव है ।
2. नशा करना निषेध है । करते हुए पाये जाने पर एक लाख रूपये के आर्थिक दण्ड का प्रावधान है ।
3. केन्द्र की नियमावली सभी की सुविधा और सुरक्षा के लिए है अतः उसका समयानुसार पालन आवश्यक है ।
4. मेहमानों से मिलने के लिए लॉबी की व्यवस्था होगी । जहॉ उनसे मिला जा सकता है । कमरों में बाहरी आगन्तुक का प्रवेश वर्जित है ।
5. कमरे में रखे सामान के प्रति रहवासी की जिम्मेदारी होगी । टूट-फूट आदि होने पर अतिरिक्त चार्ज देय होंगे ।