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भोजन व्यवस्था

अन्नपूर्णा भोजनालय
यात्रियों को शुद्ध भोजन उचित मूल्य पर उपलब्ध हो सके, इसके लिए क्षेत्र कमेटी द्वारा वैषाली यात्री निवास परिसर में बहुत ही सुन्दर भोजनालय संचालित किया जा रहा है। इस भोजनालय में एक साथ 400 व्यक्ति बैठकर भोजन कर सकते हैं। भोजनशाला में रात्रि भोजन का निषेध है । जैन आम्नाय के अनुसार अष्टमी व चतुर्दशी को हरी साग सब्जी नहीं बनाई जाती है । आलू, फूलगोभी, बैंगन व अन्य जमीकंद, प्याज, लहसुन आदि र्निषद्ध साग सब्जियों का उपयोग नहीं होता है। भोजनालय में जैन आचार विचार तथा भक्ष्य-अभक्ष्य व शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है। यात्रियों को शुद्ध जल उपलब्ध हो सके, इसके लिए एक बड़ा आर.ओ. सिस्टम लगाया गया है। भोजनषाला में फाइबर ग्लास की कुर्सिया तथा ग्रीन मार्बल टाप की टेबिलें लगाई गई हैं । भोजनषाला को आधुनिक रूप दिया गया है । भोजनालय में दो सेमी आटोमेटिक चपाती बनाने की मषीन, डग नीडिंग मषीन एवं वार्मर मषीन स्थापित की गई है । आटा व मसालों की शुद्धता की दृष्टि से भोजनालय में ही पिसाई की व्यवस्था की गई है । फुलके चावल तथा सब्जियॉ गरम उपलब्ध हो सके इसके लिए नये रूप में विद्युत प्रवाह प्रणाली के माध्यम से भोजन सामग्री को गर्म रखने की व्यवस्था की गई है। भोजनषाला में यात्रियों को प्रतिदिन एक मिठाई व नमकीन, फुलके, मिस्सी रोटी, चावल, दाल, दो सब्जी, रायता, पापड, चटनी/आचार परोसे जाते हैं । त्यौहारों पर विषेष भोजन भी यात्रियों को उपलब्ध करवाया जाता है । समय प्रातः 10.00 बजे से 1.30 बजे, सायं 5.00 बजे सूर्यास्त तक

सुरूचि अल्पाहार गृह :
कटला परिसर में मंदिरजी के पूर्वी भाग में यात्रियों की सुविधार्थ क्षेत्र कमेटी द्वारा ‘‘सुरूचि अल्पाहार गृह’’ ‘‘न लाभ-न हानि‘ के आधार पर संचालन किया जाता है। प्रातः नाष्ते में दूध, चाय, जलेबी, मठरी, दाल की कचोरी व गुलाब जामुन, पोहे,मक्खन बडा, मावे के लड्डू आदि जैन आचार-विचार से तैयार करवाकर यात्रियों को उपलब्ध कराये जाते हैं । यात्रियों को दोपहर 3.00 बजे चाय भी उपलब्ध रहती है। रात्रि को केसरयुक्त गरम दूध भी यात्रियों के लिए उपलब्ध रहता है । सुरूचि अल्पाहार गृह में यात्रियों के बैठने के लिए टेबिल कुर्सियों का समुचित प्रबन्ध है । समय प्रातः 6.00 बजे से 11.00 बजे, दोपहर 2.00 बजे से 5.00 बजे, रात्रि 6.00 बजे से 10.00 बजे